बाइक सैगमेंट करीब 1 साल से मंदी की चपेट में है लेकिन CT100 और नई Pulsar के दम पर यदि बजाज ऑटो जुलाई-सितम्बर की तिमाही में अपने सेल्स वॉल्यूम को बचाये रख पाई है तो बहत बड़ी बात है।
इंडस्ट्री: पिछले साल दिवाली अक्टूबर में थी। दिवाली के बावजूद पिछले साल अक्टूबर में महिने में पहली बार बाइक सैगमेंट में सेल्स 8.73 फीसदी घटी थी। तब से 12 महिने हो गये लेकिन बाइक सेल्स में सुधार नहीं आ पाया। अप्रेल-सितम्बर में बाइक सेल्स 55.91 लाख के मुकाबले 4.06 फीसदी घटकर 53.64 लाख यूनिट्स रह गई।
यदि बात जुलाई-सितम्बर की तिमाही की करें तो इस दौरान देश मेंं 27.67 लाख के मुकाबले 4.18 घटकर 26.51 लाख बाइक्स बिकीं। इस गिरावट का सबसे बड़ा कारण रूरल इकोनॉमी के कमजोर पड़ जाने के कारण एंट्री लेवल मॉडलों की सेल्स घटना है।
लेकिन बजाज: बजाज ऑटो ने जुलाई -सितम्बर के बीच कुल 903097 बाइक्स बेचीं जिनमें से 434000 को एक्स्पोर्ट किया। इस तरह डॉमेस्टिक मार्केट में कम्पनी की बाइक सेल्स 4.67 लाख यूनिट्स की रही। पिछले वर्ष इसी तिमाही में कम्पनी ने 4.62 बाइक्स बेची थीं। यानि जिस अवधि में बाइक की कुल सेल्स में 4.18 फीसदी का घाटा हुआ तब भी बजाज ऑटो की सेल्स में करीब 1 फीसदी की बढ़ोतरी हुई।
सीटी100 से सीढ़ी चढ़ी बजाज: Bajaj Auto ऑटो ने अपने तिमाही नतीजों में कहा है कि एंट्री लेवल CT100 और Platina मॉडलों की कुल 2.15 लाख यूनिट्स की बिक्री हुई यानि हर महिने औसत करीब 72 हजार यूनिट्स। कम्पनी के अनुसार इस सैगमेंट में कम्पनी की सेल्स में 88 फीसदी की ग्रोथ आई है। पिछले फायनेन्शियल ईयर के आखिर में इस सैगमेंट में कम्पनी का मार्केट शेयर 23 फीसदी था जो चालू फायनेन्शियल ईयर की जुलाई-सितम्बर की तिमाही में भारी बढ़ोतरी के साथ 37 फीसदी तक पहुंच गया।
लेकिन इस सैगमेंट में जो कमजोरी बनी हुई है उसका असर CT100 के सेल्स वॉल्यूम में उतार-चढ़ाव से भी साफ नजर आता है। मार्च में कम्पनी ने 29219 CT100 बेची थीं और मई में इसका वॉल्यूम 66263 यूनिट्स तक पहुंच गया। पर बाद के तीन महिनों जून, जुलाई और अगस्त में CT100 की सेल्स में तेज और लगातार गिरावट दर्ज की गई और अगस्त में CT100 की सेल्स सिर्फ 38412 यूनिट्स रह गई। हालांकि सितम्बर में कम्पनी ने इसके डिस्पैच बढ़ाये हैं और इस महिने CT100 की बिक्री 59406 यूनिट्स रही। फिर भी मार्च में लॉन्च के बाद से शुरूआती 7 महिनों में CT100 ने कम्पनी की कुल सेल्स में 343822 यूनिट्स का योगदान दिया है जो बेहद कमजोर एंट्री लेवल सैगमेंट में पोजिशनिंग को देखते हुये बहुत बढिय़ा है और कम्पनी की स्ट्रेटेजी की कामयाबी है। साथ ही CT100 के जरिये कम्पनी प्लेटिना के कमजोर पडऩे से रूरल सैगमेंट में अपनी घट रही पहुंच को ना केवल मजबूत करने में कामयाब रही है बल्कि दूसरे ब्रांड्स के कस्टमर बेस में भी सेंध लगा पाई है।
लेकिन पल्सर: कम्पनी की तिमाही रिपोर्ट में कहा गया है कि Pulsar की भारत और निर्यात बाजार में कुल सेल्स 2.64 लाख यूनिट्स रही। इनमें से एक्सपोर्ट वॉल्यूम को हटा दिया जाये तो लोकल मार्केट में 169228 पल्सर बिकीं। जबकि पिछले साल इन्हीं तीन महिनों में पल्सर की कुल 165478 यूनिट्स की बिक्री हुई थी। हालांकि यहां ग्रोथ नजर आती है लेकिन चालू वर्ष में कम्पनी टॉपएंड Pulsar RS200 सहित पल्सर के तीन नये वैरियेंट लॉन्च कर चुकी है और इनका वॉल्यूम लगातार बढऩे की बात कह रही है। लेकिन नये वैरियेंट्स की लॉन्चिंग का असर सेल्स वॉल्यूम पर नजर नहीं आ रहा है यानि इन नये मॉडलों से Pulsar के कस्टमर बेस को बढ़़ाने के बजाय शायद क्लासिक पल्सर वाले कस्टमर बेस में ही सेंध लगाई है।
हालांकि कम्पनी ने कहा है कि सुपरस्पोर्ट रेंज पल्सर Pulsar RS200 और KTM Duke मॉडलों ने अप्रेल-सितम्बर में 22 हजार यूनिट्स का योगदान दिया है और इस सैगमेंट में इन मॉडलों का शेयर 66 फीसदी है।
यानि बजाज ऑटो टू-वे स्ट्रेटेजी के जरिये, जिसमें कम्पनी ने एंट्री लेवल और टॉप एंड मॉडलों की नई रेंज पेश की, कमजोर बाजार में भी वॉल्यूम को बरकरार रखने में कामयाब रही है। नई फसल अगले वर्ष अप्रेल में आयेगी तब ही जाकर रूरल इकोनॉमी में किसी सुधार की शुरूआत हो सकती है यानि कम से कम छह महिने तो इंतजार करना ही पड़ेगा।