भारत के टू-व्हीलर मार्केट में होन्डा, यामहा, सुजुकी, कावासाकी आदि बड़ी जापानी कम्पनियां हैं। कुछ साल पहले तक हीरो मोटोकोर्प (तब हीरो होन्डा) के शरीर में भी जापानी टेक्नोलॉजी खून की तरह बहा करती थी। भले ही जापानी साझीदार होन्डा मोटर कम्पनी ने हीरो का अलगाव हो गया हो लेकिन डीएनए में आज भी मौजूद हैं जापानी जीन्स। लेकिन अब जापान में ही मोटरसाइकल्स का मार्केट बहुत तेजी से सिकुड रहा है और कम्पनियां धड़ाधड़ा मॉडल बंद कर रही हैं।
Japan in India: भारत में अस्सी और नब्बे का दौर राजदूत और येजदी के नाम था। रॉयल एनफील्ड थी लेकिन नीश प्लेयर। 1984 में भारत के टू-व्हीलर सैगमेंट में पहला नई हवा का झोंका आया और जापान की सुजुकी ने भारत में इंड-सुुजुकी मोटरसाइकल्स के नाम से कम्पनी खड़ी कर टू-स्ट्रोक मॉडल एएक्स100 को लॉन्च किया था। यही बाइक बाद में टीवीएस-सुजुकी एएक्स100 बनी। हालांकि इससे पहले यामहा भी एस्कोर्ट्स इंडिया के साथ 1983 में टाईअप कर आरडी100 को लॉन्च कर चुकी थी लेकिन बाजार को बदलने में जो काम इंड-सुजुकी एएक्स100 ने किया वो आरडी100 नहीं कर पाई। अभी कुछ महिने पहले तक जापान की ही कावासाकी भारत की बजाज ऑटो की पार्टनर थी।
आज भारत के 30 परसेंट टू-व्हीलर मार्केट पर जापानी कम्पनियों का राज है।
Then Why Kill?: लेकिन सवाल ये है कि जापान में ही टू-व्हीलर कम्पनियों को मॉडल क्यों बंद करने पड़ रहे हैं? तो इसके दो जबाव है। पहला ये कि जापान में मोटरसाइकल मार्केट बहुत तेजी से सिकुड़ रहा है। दूसरा ये कि देश में बहुत कड़े सेफ्टी और एमिशन नॉर्म लागू हो रहे हैं जिन पर खरा उतर पाना बहुत बड़ी चुनौती साबित हो रहा है।
जापान की आबादी करीब 13 करोड़ ।
वहीं एक्सपोर्ट 2015 में 4.17 लाख यूनिट्स रहा। 2016 में मेड इन जापान मोटरसाइकल्स का एक्सपोर्ट 4.28 लाख यूनिट्स रहा और 2017 में जनवरी-जून के बीच यह 2.17 लाख यूनिट्स रहा। यानि जापानी कम्पनियां घरेलू बाजार में सेल्स से ज्यादा मोटरसाइकल्स एक्सपोर्ट कर रही हैं।
EuroWay: सितम्बर से लागू हो रहे नये एमिशन नॉर्म में 50 सीसी से बड़े इंजन वाले मौजूदा मॉडलों का एमिशन यानि उत्सर्जन घटाकर आधा करने की शर्त है। 2020 के बाद एमिशन नॉर्म और भी कड़े किये जाने है और इनके पीछे मकसद यूरो-4 मानकों की बराबरी करना है।
भारत में भी अप्रेल 2020 से बीएस-6 (यूरो-6) एमिशन नॉर्म लागू होने हैं। अभी 1 अप्रेल से पूरे भारत में एक साथ सभी सैगमेंट की गाडिय़ों को बीएस-4 (यूरो-4) एमिशन नॉर्म के दायरे में लाया गया है।
Model Culling: जापान में टू-व्हीलर कम्पनियों की एक दिक्कत ये भी है कि 2018 से सरकार मोटरसाइकल्स में एबीएस यानि एंटी लॉक ब्रेकिंग सिस्टम को जरूरी कर रही है जिससे लागत बढ़ेगी।
जापान के मोटरसाइकल मार्केट में होन्डा मोटर कम्पनी का हिस्सा 40 परसेंट है। कम्पनी के पोर्टफोलियो में अभी 74 मॉडल हैं लेकिन इनमें से सिर्फ 24 को कम्पनी ने नये एमिशन और सेफ्टी नॉर्म के हिसाब से अपग्रेड किया है। यहां तक कि कम्पनी को 1800 सीसी के हाईएंड मॉडल गोल्डविंग को भी फेज़आउट करना पड़ रहा है।
गोल्डविंग को होन्डा मोटरसाइकल एंड स्कूटर्स इंडिया ने भारत में 2016 के ऑटो एक्स्पो में डिस्प्ले किया था और यह लॉन्च भी हो चुकी है।
हालांकि नये सेफ्टी और एमिशन नॉर्म 50 सीसी से बड़े इंजन वाले मॉडलों पर ही लागू होने हैं लेकिन कम्पनियां मंकी और लिटल कब जैसे छोटे बाइक मॉडलों का प्रॉडक्शन भी बंद कर रही हैं। कारण वही कि डिमांड कमजोर पड़ रही है और कम्पनियों के लिये इन्हें चलाये रखना बहुत महंगा पड़ रहा है।
जापान की दूसरी सबसे बड़ी मोटरसाइकल कम्पनी यामहा अपने पोर्टफोलियो में मौजूद 47 में से 15 को नये एमिशन और सेफ्टी नॉर्म्स को देखते हुये बंद कर रही है।
सुजुकी ने फिलहाल 11 मॉडलों को ही अपग्रेड किया है लेकिन बाकी 29 मॉडलों को भी अपग्रेड करना चाहती है।
वहीं कावासाकी चार मॉडलों को बंद कर रही है जबकि 19 में से 6 मॉडल ही नये नॉर्म पर खरे उतरते हैं। Image2 courtesy: http://bikendia.blogspot.in/p/history.html