कार कम्पनियों को सुप्रीम कोर्ट से diesel ban में कोई राहत नहीं मिली है। दिल्ली-एनसीआर में 2 लीटर से बड़े डीजल इंजन वाली कार-एसयूवी गाडिय़ों पर लगे बैन को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की अगली तारीख तक बढ़ा दिया है। मामले की अगली सुनवाई कम होगी अभी साफ नहीं। कुछ कह रहे हैं कि अप्रेल में होगी तो कुछ कह रहे हैं कि 30 अप्रेल को अगली सुनवाई होगी तब तक पाबंदी बढ़ गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने 15 दिसम्बर 2015 को मामले की सुनवाई करते हुये 1 जनवरी से 31 मार्च 2016 तक इन गाडिय़ों के दिल्ली-एनसीआर में बिकने और रजिस्ट्रेशन पर रोक लगा दी थी। इसकी चपेट में महिन्द्रा की Bolero, XUV500, Scorpio और Rexton आदि मॉडल आ रहे थे। महिन्द्रा के अलावा सबसे ज्यादा असर टोयोटा के दो बेस्ट सेलर मॉडलों Innova और Fortuner पर पड़ रहा था।
महिन्द्रा बच गई टोयोटा फंस गई: महिन्द्रा ने तुरंत एक्शन में आते हुये जनवरी के तीसरे सप्ताह में स्कॉर्पियो और एक्सयूवी500 के 2 लीटर से छोटे इंजन वाले वैरियेंट पेश कर अपनी रिस्क का बढिय़ा मैनेजमेंट कर लिया। लेकिन टोयोटा किर्लोस्कर को उम्मीद थी कि 31 मार्च को सुनवाई में पांबंदी हट जायेगा। अब चूंकि मामला अगली सुनवाई तक टल गया है और अदालत के रुख को देखते हुये लगा रहा है कि फिलहाल वो इस मामले में रियायत बरतने के मूड़ में नहीं है ऐसे में टोयोटा के सामने अपने वॉल्यूम को बचाने का बड़ा चैलेंज खड़ा हो गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुये यहां तक कहा कि वह 2 दो लीटर से बड़े डीजल इंजन वाली गाडिय़ों पर Green Tax लगाने पर भी विचार करेगा। यानि मामला अभी और उलझ सकता है।
कहीं नये शहरों में लग जाये बैन: सुप्रीम कोर्ट के इस बैन के आगे बढऩे की आशंका तो पहले से थी लेकिन एक दूसरा डर और है जो कम्पनियों के लिये भारी मुश्किल खड़ी कर सकता है। माना जा रहा है कि सु्प्रीम कोर्ट देश के अन्य महानगरों खासकर बैंगलुरू को भी इस बैन के दायरे में ला सकता है।
देश में इन गाडिय़ों की 12-13 फीसदी सेल्स दिल्ली-एनसीआर में होती है और इसमें से 30 फीसदी डीजल वैरियेंट्स की होती हैं। टोयोटा की सेल्स खासकर इनोवा और फॉच्र्यूनर की सेल्स में दिल्ली-एनसीआर का हिस्सा इंडस्ट्री एवरेज से भी ज्यादा है ऐसे में आने वाले महिने टोयोटा के लिये इतने आसान नहीं रहने वाले।
लक्जरी कार: महिन्द्रा और टोयोटा के अलावा डीजल बैन का सबसे तगड़ा असर मर्सीडीज, बीएमडब्ल्यू , ऑडी और जगुआर लैंडरोवर पर पड़ रहा है। मर्सीडीज का तो पूरा पोर्टफोलियो डीजल बैन की चपेट में है। कम्पनी के एंट्री लेवल ए-क्लास से लेकर टॉपएंड एस-क्लास तक 11 मॉडल डीजल बैन के दायरे में हैं। वहीं ऑडी के 3 और बीएमडब्ल्यू के 6 मॉडलों पर असर पड़ा है। जगुआर लैंडरोवर के भारत में बिकने वाले सातों मॉडल डीजल बैन के कारण दिल्ली-एनसीआर में नहीं बिक पा रहे हैं।
डीजल से किनारा: इंडस्ट्री की दिक्कत यह है कि 2010 से 2013 के दौरान 3 साल तक चले डीजल दीवानगी के दौर में उन्होंने डीजल इंजन की प्रॉडक्शन कैपेसिटी को बढ़ाने पर हजारों करोड़ रुपये का इन्वेस्टमेंट किया था। लेकिन जब से डीजल से प्राइस कंट्रोल हटा और डीजल-पेट्रोल की कीमतों में अंतर कम हुआ है डीजल को लेकर दीवानगी बहुत तेजी से कम हो रही है। 2013-14 में जहां 42 फीसदी पैेसेंजर गाडिय़ां डीजल की बिकी थीं वहीं 2015-16 में यह घटकर 34 फीसदी ही रह गई हैं।
यानि डीजल फ्यूल पर 3 तरफ से मार पड़ रही है। सुप्रीम कोर्ट और ग्रीन ब्रिगेड की नाराजगी झेलने के साथ ही कंज्यूमर की बदलती पसंद भी इंडस्ट्री की मुश्किलें बढ़ा रही है। हालांकि संभावना कम है फिर भी यदि सुप्रीम कोर्ट अगली सुनवाई में इस बैन को हटा लेता है तो भी ग्रीन टेक्स की तलवार तो लटकी ही है फिर बीएस-6 मानकों पर खरा उतरना भी बड़ा चैलेंज है।