फरवरी में Passenger Vehicles सैगमेंट की ग्रोथ रेट 2 फीसदी भी नहीं रही। मार्च में किसी बड़ी वॉल्यूम ग्रोथ की उम्मीद नहीं करनी चाहिये कारण बजट में टेक्स बढ़ा है और गाडिय़ां महंगी हो गई हैं। यानि पैसेंजर व्हीकल सैगमेंट इस बार भी डबल डिजिट ग्रोथ की उम्मीदों से बहुत पीछे छूट गया।
हालांकि फ्यूल प्राइस, फाइनेन्स आदि के सस्ता होने के चलते ओनरशिप कॉस्ट घटी है लेकिन इसका फायदा इंडस्ट्री को नहीं मिल पा रहा है। इंडस्ट्री की वॉल्यूम ग्रोथ आंकलन से कम रहने के पीछे वीक कंज्यूमर सेंटिमेंट को कारण बताया जा रहा है और इसका कारण गाडिय़ों पर टेक्स बढऩा है। फिर मॉनसून के भी सवाल हैं।
SIAM के अनुसार फायनेन्शियल ईयर 2015-16 के अप्रेल से फरवरी के 11 महिनों पैसेंजर व्हीकल सैगमेंट में 2532736 गाडिय़ां बिकीं जो फायनेन्शियल ईयर 2014-15 के इन्हीं 11 महिनों में हुई 2355991 यूनिट्स की सेल्स के मुकाबले 7.50 फीसदी ज्यादा हैं।
मारुति सुजुकी के एमडी केनिची आयुकावा के ईटी ऑटो में छपे इंटरव्यू में उन्होंने कहा है कि फायनेन्शियल ईयर 2015-16 का अंत 6-7 फीसदी ग्रोथ के साथ होगा।
बजट में पैसेंजर गाडिय़ों पर 1 से 4 फीसदी सैस और 10 लाख रुपये से ज्यादा प्राइस वाली गाडिय़ों पर 1 फीसदी लक्जरी भी लगाया गया था।
SIAM ने अगले फायनेन्शियल ईयर के लिये वॉल्यूम ग्रोथ के अपने आंकलन को कम कर दिया है। पहले सियाम ने कहा था कि फायनेन्शियल ईयर 2016-17 में 12 फीसदी ग्रोथ रेट रहेगी लेकिन अब इसे घटाकर 11 फीसदी कर दिया गया है। सियाम के उप महानिदेशक सुगतो सेन के अनुसार टेक्स बढऩे का ऑटो इंडस्ट्री की ग्रोथ रेट पर असर पड़ेगा। यदि मॉनसून के दौरान अच्छी बारिश नहीं हुई तो इससे रूरल मार्केट पर असर पड़ेगा जिससे ग्रोथ रेट घटकर 9 फीसदी तक आ सकती है।
सियाम ने चालू फायनेन्शियल ईयर के लिये 8 फीसदी वॉल्यूम ग्रोथ का आंकलन किया था लेकिन केंद्र के बजट में टेक्स बढऩे और राजस्थान के बजट में टेक्स स्लैब में फेरबदल करने से गाडिय़ां महंगी हो गईं इसका असर मार्च के आंकड़ों पर पड़ेगा।