फ्रांस की कार कम्पनी रेनो पर गाडिय़ों के एमिशन डेटा के साथ छेड़छाड़ करने के आरोप में फोक्सवैगन Emission Scandal की तर्ज पर क्रिमिनल केस चलने का खतरा मंडराने लगा है। फ्रांस की कंज्यूमर फ्रॉड एजेंसी ने कम्पनी के खिलाफ कानूनी कार्यवाही की सिफारिश करते हुये कहा है कि उसे संदेह है कि रेनो ने देश के एमिशन कानूनों को तोड़ा है।
रेनो भारत में क्विड, डस्टर, पल्स, स्काला और लॉजी आदि मॉडल बेचती है।
फ्रांस सरकार के अनुसार कंज्यूमर वॉचडॉग डीजीसीसीआरएफ ने अपनी जांच रिपोर्ट में कहा कि रेनो की इंजन टेक्नोलॉजी फ्रांस के एमिशन यानि उत्सर्जन मानकों की अनुपालना नहीं करती। ऐसे में अब यह मामला अदालत को भेजा जा रहा है जो यह फैसला करेगी कि रेनो पर कोई कार्यवाही की जाये या नहीं।
पिछले साल सितम्बर में फोक्सवैगन ग्रुप द्वारा डिफीट डिवाइस सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल की खबर सामने आने से बड़ा Emission Scandal खड़ा हो गया था और इसके बाद फोक्सवैगन को दुनिया भर से 1 करोड़ से ज्यादा गाडिय़ों को रीकॉल करने की घोषणा करनी पड़ी।
रेनो ने कंज्यूमर वॉचडॉग डीजीसीसीआरएफ की रिपोर्ट और कानूनी कार्यवाही की सिफारिश को देखते हुये एक बयान जारी कर कहा है ष्कि उसके इंजन यूरोप के कानूनों का पालन करते हैं।
फोक्सवैगन का मामला सामने आने के बाद रेनो सहित अन्य कम्पनियों के खिलाफ भी एमिशन के आंकड़ों को कमतर बताने के लिये खास सॉफ्टवेयरों के इस्तेमाल के खिलाफ जांच शुरू हुई थी।
ये सॉफ्टवेयर दरअसल बहुत स्मार्ट होते हैं जो लैब टेस्ट के दौरान एक्टिव होकर एमिशन को कम दिखाते हैं जबकि सडक़ पर रिअल ड्राइविंग के दौरान अपने आप बंद हो जाते हैं जिससे इंजन की पावर बढ़ जाती है लेकिन उत्सर्जन भी तय मानकों से ज्यादा होता है। आमतौर पर इस तरह के सॉफ्टवेयर गैरकानूनी है लेकिन यूरोप में बहुत खास परिस्थिति में इंजन को नुकसान से बचाने के लिये इनका इस्तेमाल किया जा सकता ह और इसी छूट का कम्पनियां फायदा उठाती हैं।
साल की शुरूआत में रेनो, ओपेल और फिएट ने फ्रांस की एक जांच कमेटी को बताया था कि छूट के नियम के तहत उनकी गाडिय़ों में लगे ये सॉफ्टवेयर गैर-कानूनी नहीं हैं।
अपनी रिपोर्ट में कंज्यूमर वॉचडॉग डीजीसीसीआरएफ ने रेनो के दफ्तर और प्लांट्स पर डाले गये छापे में बरामद मैटीरियल, कम्पनी के अधिकारियों से हुई पूछताछ और रेनो की गाडिय़ों की स्वतंत्र तरीके से की गई जांच की रिपोर्ट को आधार बनाया है।
फोक्सवैगन Emission Scandal सामने आने के बाद फ्रांस की पर्यावरण एजेंसी ने फौरी तौर पर अलग-अलग कम्पनियों के मॉडलों की एमिशन टेस्टिंग शुरू की थी। एक सरकार जांच रिपोर्ट में कहा गया कि रेनो सहित अन्य कम्पनियों की गाडिय़ों के ऑन-रोड एमिशन तय मानकों से बहुत ज्यादा पाये गये हालांकि इनमें Defeat Device जैसे सॉफ्टवेयर नहीं हैं।
ताजा मामले में रेनो ने अपने बयान में आगे कहा है कि उसकी गाडिय़ों में एमिशन डेटा से छेड़छाड़ करने वाला चीटिंग सॉफ्टवेयर नहीं है और इसकी गाडिय़ां का हमेशा से ही कानूनों के अनुसार होमोलोगेशन किया जाता है।
होमोलोगेशन यानि वह जांच प्रक्रिया जिससे यह तय किया जाता है कि गाड़ी देश के कानूनों के अनुसार है या नहीं। Photo Credit:Autonews.com