5 अगस्त को GST काउंसिल ने सरकार से होन्डा सिटी जैसी मिड, मर्सीडीज जैसी लक्जरी और स्कॉर्पियो आदि एसयूवी गाडिय़ों पर सैस को 15 से बढ़ाकर 25 परसेंट करने के लिये कानून में बदलाव करने की सिफारिश की थी। यदि सरकार कानून में संशोधन करती है तो होन्डा सिटी और मारुति सियाज़ जैसे मिडसाइज मॉडल एक से डेढ़ लाख रुपये महंगे हो जायेंगे। क्योंकि टेक्स 28+15 यानि 43 परसेंट से बढक़र 28+25 यानि 53 परसेंट हो जायेगा। इसी तरह मारुति विटारा ब्रेज़ा, ह्यूंदे क्रेटा, महिन्द्रा स्कॉर्पियो व एक्सयूवी500 और जीप कम्पास आदि मॉडलों की प्राइस में भी 2 लाख रुपये तक की बढ़ोतरी हो जायेगी।
GST कानून में टेक्स बढ़ाने के लिये जरूरी संशोधन को संसद से पास कराना होगा ऐसे में माना जा रहा था कि 11 अगस्त को संसद का सत्र खत्म हो गया तो कम से कम 4 महिने के लिये यह मामला टल गया है। संसद का अब नियमित विंटर सैशन 18 दिसम्बर से शुरू होगा।
लेकिन अब खबर आ रही है कि भारत सरकार जल्दी ही सैस की सीलिंग को 15 से बढ़ाकर 25 परसेंट करने के लिये GST कानून में जरूरी बदलाव करने के लिये ऑर्डिनेन्स यानि अध्यादेश ला सकती है और यह काम कुछ ही सप्ताह में हो सकता है।
सरकार इस काम को जल्दी से जल्दी पूरा कर लेना चाहती है क्योंकि GST सिस्टम के लागू होने के बाद ऑटो इंडस्ट्री से मिलने वाले टेक्स में कमी आई है। जिसकी भरपाई के लिये सैस बढ़ाने जैसा कदम उठाया जा सकता है।
GST सिस्टम में स्मॉल पेट्रोल कारों को 28+1 और स्मॉल डीजल कारों को 28+3 परसेंट के टेक्स स्लैब में रखा गया है। स्मॉल कार वो जिनकी लम्बाई 4 मीटर से कम है और जिनमें 1200 सीसी तक पेट्रोल व 1500 सीसी तक डीजल इंजन हो।
वहीं मिडसाइज, लक्जरी कार और एसयूवी मॉडलों को 28+15 यानि 43 परसेंट के टेक्स स्लैब में रखा गया था। जीएसटी से पहले इन गाडिय़ों पर 51 से 54 परसेंट तक टेक्स लग रहा था।
मिंट की रिपोर्ट के अनुसार फायनेन्स मिनिस्ट्री जल्दी ही सैस सीलिंग बढ़ाने के लिये एक केबिनेट नोट जारी करेगी जो चर्चा के लिये केबिनेट के सामने रखा जायेगा। यदि केबिनेट को सही लगता है तो वह GST (कम्पेन्सेशन टू स्टेट्स) एक्ट, 2017 में संशोधन करने के लिये ऑर्डिनेंस यानि अध्यादेश ला सकती है।
वित्त मंत्रालय का मानना है कि टेक्स का हिसाब लगाने में यह गड़बड़ी अनचाहे में हुई चूक के कारण हुई और इस संशोधन के जरिये टेक्स में हो रहे नुकसान की भरपाई की जायेगी।
सरकार ऑर्डिनेंस के जरिये सिर्फ जीएसटी काउंसिल की सैस लिमिट को बढ़ाने की मांग को पूरा कर रही है। लेकिन सैस 15 परसेंट से बढ़ाकर कितना किया जायेगा यह फैसला GST काउंसिल ही लेगी।
कुछ दिनों पहले इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट में कहा गया कि बहुत संभव है कि सैस को 15 से बढ़ाकर 25 परसेंट नहीं इससे कम रखा जाये। हो सकता है कि सैस बढ़ाने के बावजूद गाडिय़ों पर कुल टेक्स 50 परसेंट के नीचे ही रहे। यानि हो सकता है जीएसटी काउंसिल सैस 5 या 7 परसेंट ही बढ़ाने का फैसला ले।
GST काउंसिल की अगली मीटिंग 9 सितम्बर को हैदराबाद में रखी गई है।
टेक्स पर लगातार कन्फ्यूजन की स्थिति बनी रहने के कारण ऑटो इंडस्ट्री में सरकार को लेकर नाराजगी बढ़ी रही है। इंडस्ट्री एक्जेक्टिव्स के अनुसार इससे कभी प्री-बाइंग शुरू हो जाती है तो कभी कस्टमर परचेज़ टाल देते हैं। फिर फेस्टिव सीजन अपने पीक पर है ऐसे में इस तरह के कन्फ्यूजन से इंडस्ट्री को सेल्स प्लान करने में बड़ी परेशानी आती है।