जापान की कार कम्पनी Nissan मोटर ने भारत सरकार से 77 करोड़ डॉलर यानी करीब 5 हजार करोड़ रुपये की मांग करते हुये दावा किया है। कम्पनी ने तमिलनाडु सरकार द्वारा इन्सेंटिव का भुगतान नहीं करने पर भारत सरकार के खिलाफ इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन की प्रक्रिया शुरू की है।
इंटरनेशनल मीडिया की खबर के अनुसार Nissan मोटर ने इस बारे में पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक नोटिस भी भेजा था जिसमें उसने तमिलनाडु सरकार द्वारा 2008 में राज्य में प्लांट लगाने के लिये किये गये समझौते में तय इन्सेंटिव के भुगतान की मांग की गई थी।
नोटिस में कहा गया कि राज्य सरकार के अधिकारियों से कई बार भुगतान करने की गुजारिश की गई है लेकिन इन्हें लगातार नजरअंदाज किया गया है। समझौते के अनुसार तमिलनाडु सरकार को वर्ष 2015 में इन्सेंटिव का भुगतान करना था। नोटिस में यह भी कहा गया है कि कम्पनी के चेअरमैन कार्लोस गोन ने प्रधानमंत्री के साथ मार्च 2016 में हुई बैठक में भी इस मुद्दे को सुलझाने के लिये केंद्र सरकार की मदद मांगी थी लेकिन इसका भी कोई नतीजा नहीं निकला।
Nissan द्वारा जुलाई 2016 मेंं यह नोटिस भेजे जाने के बाद केंद्र व राज्य सरकार के अधिकारियों के साथ निसान के एक्जेक्टिव्स की कई मीटिंग भी हुईं।
केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों के अधिकारियोंं ने Nissan मोटर को भुगतान का भरोसा देेते हुये कानूनी कार्यवाही नहीं करने की अपील की थी लेकिन अगस्त में कम्पनी ने आर्बिट्रेशन की नियुक्ति करने की चेतावनी दे दी। रिपोर्ट्स में कहा गया है कि इस मामले में तय आर्बिट्रेटर की पहली मीटिंग दिसम्बर में ही होनी है।
Nissan मोटर के प्रवक्ता ने इस मामले में एक बयान जारी करते हुये कहा कि कम्पनी इस मामले को सुलझाने के लिये सरकार के साथ काम करने को प्रतिबद्ध है।
तमिलनाडु सरकार के एक अधिकारी ने कहा कि सरकार इस विवाद को बिना इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन के सुलझाना चाहती है। बकाया रकम को लेकर दोनों पक्षों में कोई मतभेद नहीं है और इस विवाद को सुलझाने के लिये कोशिश की जा रही है।
वर्ष 2008 में Nissan और इसकी फ्रांसिसी सहयोगी पार्टनर कम्पनी रेनो ने चेन्नई में कार प्लांट लगाने का फसला किया तब राज्य सरकार ने टेक्स रिफंड सहित कई इन्सेंटिव देने की घोषणा की थी। पिछले सात सालों में रेनो और निसान ने इस प्रॉजेक्ट पर करीब 6100 करोड़ रुपये खर्च किये हैं और इस प्लांट में साल में 4.80 लाख गाडिय़ां बनाई जा सकती हैं।
लीगल नोटिस में कहा गया है कि समझौते के अनुसार उन्हें 2015 में इन्सेंटिव और टेक्स रिफंड का भुगतान किया जाना था।
Nissan ने नोटिस के जरिये सरकार से 2900 करोड़ रुपये के इन्सेंटिव, 2100 करोड़ रुपये हर्जाने, और ब्याज व अन्य खर्च का भुगतान करने की मांग की है।
आपको बता दें कि Nissan भारत में निसान और Datsun ब्रांड की गाडिय़ां बेच रही हैं और दो ब्रांड की मौजूदगी के बावजूद कम्पनी का मार्केट शेयर बमुश्किल 5 परसेंट ही है। कम्पनी के पोर्टफोलियो में माइक्रा, सनी और टेरानो के अलावा डेटसन गो, डेटसन गो+ और डेटसन रेडीगो आदि मॉडल मौजूद हैं।