
Third Party Insurance! 1 अगस्त से सस्ते हो रहे हैं कार और टू-व्हीलर।
कहावत नहीं है देर आयद…दुरुस्त आयद…वो सही साबित हो रही है। कह यह भी सकते हैं कि कोविड क्राइसिस के दौर में क्रेश होने के कगार तक पहुंच चुकी ऑटो इंडस्ट्री को मूंह मांगी मुराद मिल गई है। क्योंकि 1 अगस्त से स्कूटर, बाइक, मॉपेड, कार आदि सभी तरह की प्राइवेट गाडिय़ां खरीदना सस्ता होने जा रहा है।
खबर है कि बीमा नियामक इंश्योरेंस रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने एक सर्कुलर में बदलाव करने जा रही है। 2018 में नये टू-व्हीलर पर 5 वर्ष और नये पैसेंजर वेहीकल पर 3 साल का Third Party Insurance जरूरी कर दिया गया था लेकिन अब इसे वापस ले लिया गया है।
हालांकि इसका मकसद देश में बिना इंश्योरेंस चल रही गाडिय़ों पर लगाम लगाना था लेकिन इन गाइडलाइन्स के चलते प्राइवेट गाडिय़ों की ओनरशिप कॉस्ट में अचानक अच्छी-खासी बढ़ोतरी हो गई।
नतीजा यह हुआ कि गाड़ी खरीदने की लागत बढऩे से पहले ही दबाव में चल रहे कस्टमर सेंटिमेंट का कबाड़ा हो गया।
नोटबंदी, जीएसटी, ट्रकों का एक्सल लोड बढ़ाना, बीएस6 एमिशन नॉर्म लागू होना, नये सेफ्टी मानक आदि पिछले सालों में उठाये गये डिसरप्टिव कदमों ने ऑटो इंडस्ट्री की कमर तोडक़र रख दी है।
और…सियाम व फाडा के जरिये ऑटो इंडस्ट्री सरकार से रिलीफ पैकेज की मांग करती आ रही है। जिसमें लॉन्ग टर्म थर्ड पार्टी इंश्योरेंस की शर्त हटाने से लेकर स्क्रेपेज स्कीम लागू करने तक बहुत से विकल्प दिये गये हैं।
बीमा नियामक की ओर से Third Party Insurance की शर्त में दी गई ढील को उसी दिशा में उठाया गया कदम माना जा सकता है।
थर्ड पार्टी बीमा की यह शर्त हट जाने से गाड़ी खरीदने के लिये कस्टमर को अब दो हजार से 25 हजार रुपये तक कम खर्च करने पड़ेंगे। इसका अर्थ हुआ कि अब नई गाड़ी खरीदते समय आपको 3 या 5 साल का नहीं बल्कि सिर्फ 1 साल का ही Third Party Insurance लेना होगा। हालांकि आप चाहें तो लॉन्ग टर्म पॉलिसी भी ले सकते हैं।