जुलाई में दो यूवी मॉडल आये ह्यूंदे क्रेटा और मारुति एस-क्रॉस लेकिन इन दोनों मॉडलों की 8-10 हजार यूनिट्स के डिस्पैच के बावजूद महिन्द्रा स्कॉर्पियो और रेनो डस्टर वाले सैगमेंट के सेल्स वॉल्यूम पर कोई असर नजर नहीं आया। कारण शायद नये मॉडलों का मौजूदा मॉडलों के कस्टमर बेस में सेंध लगाना है यानि मार्केट साइज बढऩे की जो उम्मीद थी वो पहले महिने में पूरी नहीं हुई। कार सैगमेंट में लग रहा है कि बम्पर सेल्स का दौर शुरू हो गया है। जुलाई में 17.5 फीसदी ज्यादा कारें बिकी हैं और अप्रेल से जुलाई के चार महिनों की अवधि में कार सेल्स में ग्रोथ 10.68 फीसदी रही है।
एलसीवी मॉडलों के दो-तीन महिने में बॉटम आउट होने के संकेत मिल रहे हैं। जुलाई में इनकी सेल्स में गिरावट सिर्फ 4.1 फीसदी रह गई। लेकिन ट्रक और बस सैगमेंट की ग्रोथ लगातार बनी हुई है जो इकोनॉमी में कुदरती मजबूती का संकेत है। हालांकि इसमें बड़ा योगदान डीप डिस्काउंट्स का भी है।
टू-व्हीलर सैगमेंट अब रिवर्स ड्राइव की ओर इशारा कर रहा है। नये मॉडल आने के बावजूद स्कूटर की ग्रोथ रेट 25-30 फीसदी से घटकर जुलाई में 15.36 और अप्रेल-जुलाई में 9.45 फीसदी ही रह गई। बाइक्स की सेल्स अक्टूबर से ही घाटे में है और इसका कारण रूरल इकोनॉमी की कमजोरी को बताया जा रहा है। जून-जुलाई में देशभर में अच्छी बारिश होने की खबरें हैं यानि रूरल इकोनॉमी पर संकट की जो आशंका थी वो अब करीब-करीब दूर हो चुकी है। ऐसे में दिवाली के आस-पास फसल कटने से जो आमदनी होगी उसका फायदा बाइक खासतौर पर कम्यूटर बाइक सैगमेंट को मिलने की उम्मीद है।
सियाम के महानिदेशक विष्णु माथुर भी सेल्स पर मॉनसून के असर की चर्चा करते हुये कहते हैं कि दूसरी छमाही अच्छी रहने की उम्मीद है और इसका कारण बढिय़ा बारिश होना है। देश में इकोनॉमिक एक्टिविटी भी बढ़ रही हैं।
कंज्यूमर कॉन्फीडेंंस भी बेहतर होने के संकेत मिल रहे हैं। कंज्यूमर गुड्स सैगमेंट की ग्रोथ अप्रेल-जुलाई के चार महिनों में 11 फीसदी रही जो पिछले साल इस दौरान 7 फीसदी थी।
हाल के महिनों में एक के बाद एक इन्वेस्टमेंट की घोषणायें हुई हैं और क्रूड ऑयल अभी कमजोर ही बना रहने की उम्मीद है। चीन की इकोनॉमी के ठंडा पड़ जाने से कमोडिटी प्राइस भी नरम पड़ रही हैं। ये सभी फैक्टर ऑटो इंडस्ट्री के लिये अच्छे संकेत हैं।