कारोबारी साल खत्म हो गया। ठीक ही गुजरा, पैसेंजर गाडिय़ों की बिक्री तीन साल बाद बढ़ी। हालांकि यह बढ़ोतरी सिर्फ 3.90 फीसदी ही रही। हल्के व्यावसायिक वाहनों के कारण पूरा सीवी सैगमेंट कमजोर नजर आ रहा है लेकिन भारी ट्रक-बस की बिक्री इस दौरान 16 फीसदी का अच्छा-खासा उछाल दर्ज किया गया। टू-व्हीलर सैगमेंट में बिक्री 8.90 फीसदी बढ़ी। एक नजर देखें तो ये सभी आंकड़े बड़ी उम्मीद जगा रहे हैं लेकिन खुद सियाम और इंडस्ट्री को इन पर ज्यादा भरोसा नहीं है और 2011-12 के तेज रफ्तार के दौर में लौटने के लिये अभी दो साल और इंतजार करना पड़ सकता है।
बेमौसम बारिश और ओले पडऩे से 14 राज्यों में 110 लाख हेक्टेयर से भी ज्यादा बिकने के लिये तैयार खड़ी फसल को जो नुकसान हुआ है उसका असर आने वाले महिनों में दिखाई देगा। यदि महंगाई बढ़ी तो रिजर्व बैंक के लिये ब्याज दरों में कटौती करना मुश्किल हो जायेगा और यदि ऐसा हुआ तो इंडस्ट्री को बड़ा झटका लगेगा।
सियाम का मानना है कि चालू वित्तीय वर्ष के दौरान रिजर्व बैंक ब्याज दरों में 500 आधार अंक यानि आधा फीसदी की कटौती कर सकता है इससे गाडिय़ों की ओनरशिप कॉस्ट यानि चलाने की लागत 2 से 3 फीसदी कम हो जायेगी।
सियाम के पूर्व अध्यक्ष और आयशर के ग्रुप चेअरमैन एस शांडिल्य का मानना है कि इंडस्ट्री में 2011-12 के से बम्पर हालात के लिये दो साल का इंतजार करना पड़ेगा हालांकि इस बीच अच्छी-खासी रिकवरी होगी।